टहलते हुए आइए, सोचते हुए जाइए.

Thursday, April 16, 2009

नज़रिया

जूते- चप्पल की एक कम्पनी एक गाँव में अपना व्यापार शुरू करना चाह रही थी। उसने अपनी मार्केटिंग टीम को वहाँ सर्वे के लिए भेजा। दो महीने के बाद उस कम्पनी की टीम ने अपनी सर्वे रिपोर्ट दी। रिपोर्ट में यह कहा गया की यहाँ व्यापार की संभावना बिल्कुल ही नहीं है, क्योंकि यहाँ कोई भी व्यक्ति जूते-चप्पल नहीं पहनता।
जिस समय इस कम्पनी ने अपनी मार्केटिंग टीम उस गाँव में भेजी थी, उसी समय एक दूसरी कम्पनी ने भी अपनी टीम वहाँ भेजी। वह भी जूते-चप्पल की ही कम्पनी थी। उसकी टीम को भी दो महीने दिए गए थे। दो महीने के बाद इस कम्पनी ने भी अपनी रिपोर्ट कम्पनी को भेजी। उसमें लिखा हुआ था की यहाँ पर व्यापार की संभावना बहुत ज़्यादा है, क्योंकि यहाँ कोई भी व्यक्ति जूते-चप्पल नहीं पहनता।

2 comments:

अजय कुमार झा said...

wo do maheene jaidee ke saahasik kaarnaame ke baad ke do maheene honge, waise ab us gaaon ke log kya kar rahe hain kahin lage to nahin hue netaaon kee khabar lene mein..
bahut badhiyaa najariyaa raha ye.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

नज़र-नज़र का फेर है भैय्या:)