टहलते हुए आइए, सोचते हुए जाइए.

Sunday, February 1, 2009

बुरा जो देखन मैं चला

एक बार द्रोणाचार्य ने दुर्योधन से कहा की वह किसी अच्छे व्यक्ति को लेकर आयें। दुर्योधन ने पूरी धरती छान मारी, लेकिन उसे एक भी अच्छा व्यक्ति न मिला। द्रोणाचार्य ने अब युधिष्ठिर से कहा की वह किसी बहुत बुरे व्यक्ति को खोज कर लाये। युधिष्ठिर ने भी पूरी धरती छान मारी, लेकिन उसे भी एक भी बुरा व्यक्ति न मिला।
गुरु ने कहा, की अछा व् बुरा व्यक्ति अपने ही मन में होता है। जिसकी जैसी भावना रहती है, वह अन्य को उसी भाव से देखता है। संत कबीर ने भी कहा है-
"बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिल्या कोई,
जो दिल खोजा आपना, मुझसा बुरा न कोय।"