एक बार एक नेत्रहीन लड़का एक इमारत के किनारे बैठा हुआ भीख मांग रहा था। उसने अपने पास में एक टोपी रखी हुई थी। टोपी की बगल में एक बोर्ड था, जिस पर लिखा हुआ था की " मैं अंधा बालक हूँ, इसलिए मेरी मदद कीजिए।" लोग उस रास्ते से गुजरते, उसे और बोर्ड को देखते औरचले जाते। कोई कुछ भी उसे नहीं देता था।
उस रास्ते से एक आदमी भी गुजरा। उसने उस लडके को, फ़िर उसकी टोपी को और उसके बोर्ड को देखा। उसने उसकी टोपी में कुछ पैसे डाले और बोर्ड पर का लिखा फ़िर पढा। उसने बोर्ड का लिखा मिटा दिया और उसके बदले कुछ और लिखा। फ़िर बोर्ड उसने इस प्रकार से रखा की अधिक से अधिक लोग उसे देख सकें। इसके बाद वह वापस अपने रास्ते चला गया।
अब लोग आते, बोर्ड पढ़ते और पैसे उसकी टोपी में दाल जाते। शाम तक उसकी टोपी पैसों से भर गई। शाम में वह आदमी फ़िर आया और लडके से पूछा की दिन भर की क्या हालत रही। लडके ने जानना चाहा की आप वही हैं न जो सुबह आए थे और जिन्होंने बोर्ड पर नया कुछ लिखा था?" आदमी ने हां में जवाब दिया। लडके ने कहा की उसके जाने के बाद तो जैसे चमत्कार हो गया। जो भी आता, कुछ पैसे दे कर जाता। आख़िर आपने उसमें क्या ऐसा लिख दिया?" आदमी ने कहा की मैंने बस सत्य और प्रिय लगनेवाली बात ही लिखी है। मैंने लिखा है की "आज का दिन कितना अच्छा है? लेकिन मैं इसे अपनी आंखों से नहीं देख सकता।"
Thursday, April 2, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
bahutprerak rachna hai badhai
बहुत बढिया कहानी ...
बिल्कुल सही बात , सत्य और प्रिय बात ।
bahut badhiya . apki hiththi ki charchaa aaj samayachakr par.
समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : माता तेरे रुप हजार तू ही करती बेङा पार
Post a Comment