टहलते हुए आइए, सोचते हुए जाइए.

Tuesday, April 7, 2009

जिससे घर भर जाए.

एक व्यापारी ने अपना सारा जीवन अपने व्यापार को आगे बढ़ाने में लगा दिया। अचानक एक दिन उसे ख्याल आया की अब वह बूढा हो रहा है। किसी भी दिन मृत्यु उसे आ कर निगल जायेगी। मृत्यु एक ऐसा सच है, जिससे कभी भी इनकार नहीं किया जा सकता। जिस दिन इसे आना होगा, यह आयेगी ही, और उसे लेकर जायेगी ही। वह अब इस चिंता में पडा की उसके बाद उसके इस बढे हुए व्यापार को कौन संभालेगा।
उसके तीन बेटे थे। उसने एक दिन तीनों को अपने पास बुलाया और सभी को सौ-सौ रुपये दिए और कहा की वे सभी इन पैसों से एक ऎसी छीज खरीद कर लायें, जिससे उनका यह घर पूरी तरह से भर जाए। उसने बेटों को सावधान किया और कहा की इसके अलावे वह और पैसे खर्च नहीं कर सकता है। इतने ही पैसे से उसे सामान लाना है। और हाँ, शाम के पहले उन सभी को वापस लौट कर भी आना है।
तीनों बेटे पैसे ले कर चले गए। शाम में वे तीनों इकट्ठे हुए। पिटा ने तीनों से पूछा की वे क्या-क्या ले कर आए हैं? पहले ने कहा की वह इन पैसों से भूसा खरीद कर लाया है। और यह कहकर उसने पूरे घर में भूसा फैला दिया। घर का एक कोना भूसे से भर गया। अब बारी दूसरे की थी। उसने कहा की वह इन पैसों से रुई ले कर आया है" उसने रुई के बोरे घर में पलट दिए। घर का दूसरा कोना रुई से भर गया। अब बारी तीसरे की थी। तीसरा बोला, "मैं जब बाज़ार जा रहा था, तब एक भूखे को देखा जो भूख से बिलकुल चल नहीं पा रहा था। मैंने इन पैसों से उसे खाना खिलाया। और आगे बढ़ने पर मुझे एक बच्चा मिला जो रो रहा था। कारण पूछने पर उसने बताया की उसके पास किताब न होने के कारण शिक्षक ने उसे क्लास से बाहर निकाल दिया है। बचे हुए पैसे से मैंने उसे वह किताब दिला दी। फ़िर थोड़ा आगे बढ़ा तो एक स्त्री कराह रही थी। वह बीमार थी, मगर उसके पास दवा के लिए पैसे नहींथे। मैंने अब जो बचे हुए पैसे थे, उसमें से दवा लेकर उसे दी। अब मेरे पास कुछ ही पैसे बच गए थे, मैंने उनसे ये मोमबत्तियां खरीद ली हैं। मैंने सोचा की इनको जलाने से पूरा घर रोशनी से भर जायेगा।" यह कहते हुए उसने सभी मोमबत्तियां जला दीं। और वाकई घर रोशनी से नहा उठा।

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

विभा रानी!
तुमने मानवतावादी दृष्टिकोण को
सामने रख कर अच्छा कथानक लिखा है।
यह शिक्षाप्रद भी है और प्रेरणा देने वाला भी।
बधाई स्वीकार करें।

संगीता पुरी said...

बहुत प्रेरणादायक कहानी ... अच्‍छी पोस्‍ट है।