टहलते हुए आइए, सोचते हुए जाइए.

Thursday, May 28, 2009

एक स्त्री को क्या चाहिए?

एक नवयुवक राजा को उसके पडोसी देश के राजा ने बंदी बना लिया था. राजा ने उसके खिलाफ मुकदमा चलाया और नवयुवक राजा को मृत्युदंड की सज़ा सुना दी. मगर नवयुवक राजा की उम्र देख कर पडोसी देश के राजा को भी दया आ गई. उसने नवयुवक राजा से कहा- "हम तुम्हें एक शर्त पर जीवन दान दे सकते हैं, अगर तुम मुझे मेरे एक प्रश्न का जवाब दे सको'. नवयुवक राजा को जीवन दान मिल रहा था. इससे बढ़ कर उसे और क्या चाहिए? उसने तुंरत कहा कि वह उत्तर देने के लिए तैयार है. पडोसी देश के राजा ने उसे कहा कि वह इस प्रश्न के जवाब के लिए उसे एक साल का समय देता है. अगर उसने वह जवाब दे दिया तो उसे आजाद कर दिया जाएगा, वरना उसे मौत के मुंह में सुला दिया जाएगा.
नवयुवक राजा को थोड़ी उत्सुकता हुई कि ऐसा कौन सा सवाल है, जिसके लिए उसे एक साल की मोहलत दी जा रही ही? राजा ने उसे प्रश्न सुनाया- "एक स्त्री क्या चाहती है?" सुनने में यह सवाल बड़ा सीधा-सादा सा था. मगर इसके लिए एक साल की मोहलत ही यह बता रही थी यह सवाल उतना सीधा नहीं है. फिर भी इस सवाल के मार्फ़त से नवयुवक राजा को जीवन दान मिल रहा था, इसलिए उसने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया. राजा ने नवयुवक राजा को उसके घर भेज दिया और कहा कि हालांकि वह अपने घर पर रहेगा, लेकिन वह उसकी निगरानी में है, वह यह याद रखे."
दिन पर दिन बीतते गए,. नवयुवक राजा सभी से इस सवाल का जवाब पूछता रहा, मगर उसे कोई भी संतोषजनक
उत्तर नही मिला. अब वह परेशान होने लगा. उसे लगने लगा कि अगर वह इस सवाल का जवाब नहीं दे पाया तो उसका मरना तय है. उसे किसी ने सलाह दी कि नगर के बाहर एक चुडैल रहती है. वही इस सवाल का सही जवाब दे सकती है. लेकिन उसके पास जाना इतना आसान नहीं है. वह पहले तो किसी की बात नहीं सुनती, फिर सुनती भी है तो इसके लिए वह मनमानी फीस वसूलती है और उसकी फीस में पैसे से लेकर किसी की जान लेना तक शामिल है.
नवयुवक राजा ने तय किया था कि वह उसके पास नही जाएगा. लेकिन तेजी से ख़त्म होती जा रही मियाद ने उसे मज़बूर कर दिया उसके पास जाने के लिए. चुडैल ने बड़ी मुश्किल से उसकी बात सुनी. फिर उसने सवाल के जवाब के लिए अपनी शर्त रखी. उसने कहा कि वह उसके लेखक मित्र से शादी करना चाहती है. नवयुवक राजा के यह सुनकर होश उड़ गए. वह लेखक राजा का बहुत अच्छा मित्र था और बहुत ही ग्यानी औए विद्वान था. उसकी शोहरत पूरे देश में थी. उस सीधे-सादे, छल-कपट से रहित व्यक्ति की शादी इस चुडैल से करवा देना, वह भी अपनी जान की खातिर, यह उसे मन न भाया. और वह चुपचाप वहां से चला आया.
मित्र को जब इस बात का पता चला, तब उसने कहा कि वह उस चुडैल से शादी करने के लिए तैयार है, अगर ऐसा करने से उसके प्रिय मित्र की जान बच जाती है. नवयुवक राजा बड़ी मुश्किल से इस बात के लिए तैयार हुआ.
लेखक मित्र की शादी उस चुडैल से हो गई. उस चुडैल ने अब नवयुवक राजा को उसके सवाल का जवाब दिया, जो इस प्रकार है - "स्त्री अपनी जिंदगी की नियामक या निर्णायक खुद ही हो."
साल भर का समय समाप्त हो गया था. नवयुवक राजा ने पडोसी देश के राजा को अपना उत्तर सुनाया. राजा बहुत खुश हुआ और उसे उसने अपनी कैद से आज़ाद करके उसे जीवन दान दे दिया.
इधर लेखक मित्र अपनी सुहाग रात के लिए अपने कमरे में गया. उसका दिल बहुत बुरी तरह से धडक रहा था. वह समझ नही पा रहा था कि आज उसके साथ क्या होनेवाला है? एक चुडैल के साथ सुहाग रात? परन्तु जब वह कमरे में गया तब वह यह देख कर दंग रह गया कि वहा एक अत्यनत ख़ूबसूरत लड़की सुहाग सेज पर बैठी हुई है. लड़की ने बताया कि उसके साथ शादी करने से अब उसके पास दो तरह की ताक़त आ गई है.- १ वह आधे समय तक ख़ूबसूरत और आधे समय तक बदसूरत रह सकती है. २. वह सारे समय बदसूरत रह सकती है. वह यह तय करे कि क्या वह दिन में ख़ूबसूरत रहे और सभी को प्रसन्न रखे या रात में ख़ूबसूरत रहकर उसकी रातें खुशनुमा बनाए.
मित्र की समझ में कुछ भी नही आया. उसने नवयुवक राजा मित्र से इस बाबत पूछा. अबतक नवयुवक राजा अपने पडोसी देश के राजा के सवाल का मर्म अच्छी तरह समझ गया था. उसने मित्र को सलाह दी कि यह निर्णय तुम उसी पर छोड़ दो. मित्र ने ऐसा ही किया. उसकी पत्नी ने जवाब दिया कि आधा समय बदसूरत रहकर वह उस समय अपने संपर्क में आये लोगों का कुछ भी भला नहीं कर पायेगी, रात में भी बदसूरत रह कर वह उसे दुखी करेगी. इसलिए वह यह फैसला लेती है कि वह सारे समय ख़ूबसूरत बनी रहेगी.

Monday, May 18, 2009

दूसरों को दोष देने से पहले

एक बार एक आदमी एक डाक्टर के पास गया और बोला की उसकी बीबी ऊंचा सुनाती है। इससे उसे बहुत परेशानी होती है। डाक्टर ने उसे सलाह दी की वह उसके बहरेपन के लेवल का पहले पता करे। फ़िर वह उसके पास आए। आदमी ने पूछा की यह लेवल वह कैसे पता कर सकता है? डाक्टर ने उसे बहुत आसान सा तरीका सुझाया। उसने कहा की वह पहले ४० फीट की दूरी से एक बात कहे, यदि उसे इसका जवाब नहीं मिलता है तो वह उस दूरी को ३० फीट में बदल दे और फ़िर पूछे। फ़िर भी जवाब नहीं मिलता है तो उसे २० फीट करदे। ऐसा वह तबतक करता रहे, जबतक की उसे पत्नी से जवाब नहीं मिल जाता। आदमी ने ऐसा ही कराने का वचन दिया।
दूसरे दिन आदमी ४० फीट की दूरी पर खड़ा हो गया और उसने अपनी पत्नी से पूछा- "आज नाश्ता क्या बना है?"। उसे कोई जवाब नहीं मिला। फ़िर वह ३० फीट की दूरी पर गया और फ़िर से वही सवाल पूछा की आज नाश्ता क्या बना है?" उसे फ़िर जवाब नहीं मिला। अब वह २५ फीट की दूरी पर गया और फ़िर से सवाल दुहराया। जवाब न मिलाने पर २० फीट की दूरी पर जा कर उसने वही सवाल फ़िर से पूछा। क्रमश: वह दूरी घटाता गया और पत्नी से वही सवाल दुहराता गया।जवाब न मिलाने के कारण वह काफी खीझ रहा था। उसका गुस्सा और चिढ दोनों बढ़ते जा रहे थे।
अंत में जब वह ५ फीट की दूरी पर रह गया तब उसने फ़िर से अपनी पत्नी से पूछा, "क्या अब तुम बताओगी की आज नाश्ता क्या बना है?" पत्नी ने भी उसी चिढ और खीझ के साथ जवाब दिया- "तब से लेकर अबतक सात बार बता चुकी हूँ की आज नाश्ते में सैड्विच बना है। और कितनी बार बताऊँ?"

Thursday, May 14, 2009

ज्ञान की कीमत

एक बार एक जहाज काम इंजन बंद पड़ गया. सभी तरह के कामगार आये और सभी ने अपनी तरफ से हर तरह कि कोशिश कर ली, मगर इंजन स्टार्ट नहीं हुआ. अंत में किसी ने कहा कि इस नगर के अंतिम छोर पर एक बूढा रहता है. वह जहाज का विशेषग्य है. उससे दिखाया जाये. संभव है, वह इंजन ठीक कर सकता है.
उस बूढे को बुलाया गया. बूढे ने पूरे जहाज को अच्छी तरह से देखा-परखा. फिर उसने अपने बेग मेंसे एक हथौडा निकाला और इधर-उधर हलके से ठोका. फिर उसने इंजन के पास कि एक जगह को देखा, गहनता से उसका निरीक्षण किया. फिर निशाना साध कर उसने एक भरपूर वार हथौडे का उस जगह पर किया. सबने हैरानी से देख कि इंजन ठीक हो गया और वह काम करने लगा. सभी बड़े प्रसन्न हुए. सभी ने बूढे की जी खोल कर तारीफ की. बूढा वहां से चला गया.
कुछ दिनों के बाद उस बूढे का बिल आया . बिल पर रक़म लिखी थी- १०,०००/- रुपये. जहाज का मैनेजर चौंका- "अरे, इसने ऐसा क्या किया है कि दस हज़ार का बिल थमा दिया है. एक हथौडा ही तो मारा है. उसने बूढे से भी यही बात कही. बूढे ने कहा कि वह अपने बिल को मदवार शुल्क के रूप में भेज तःः है कि किस मद में कितना पैसा उसने लिया है.
मैनेजर के पास दूसरा बिल गया. उसमें बिल का विवरण था-
हथौडा मारने की फीस- रु. १०/-
सही जगह हथौडा मारने की फीस- रु ९९९०/-

Sunday, May 10, 2009

मन की आँखें

एक अस्पताल में दो मरीज़ भर्ती हुए. एक का बिस्तर खिड़की के पास था. उसे दिन भर में एक बार एक घंटे के लिए बिस्तर पर बैठने की इजाज़त थी. दूसरा मरीज़ सारे समय लेटा रहता था. दोनों मरीजों में बात चीत शुरू हुई और दोनों में दोस्ती हो गई. खिड़की के पास वाला मरीज़ जब बैठता तब वह खिड़की की तरफ मुंह करके बैठता और खिड़की के बाहर के सारे नजारे का वर्णन करता. दूसरा मरीज़ बिस्तर पर लेटा-लेटा यह सब सुनता रहता. उसे यह वर्णन बहुत भाता, इतना कि जब पहलेवाला मरीज़ खिड़की के बाहर के हाल-चाल का बयान करता, तब वह अपनी आँखें बंद कर लेता और अपनी बंद आँखों से उस वर्णन का तसव्वर करने लगता. मरीज़ की बातों में मौसम होता, आस-पास के पेड़, फूल, चिडिया, पशु पक्षी होते. एक दिन उसने एक बारात के जाने का वर्णन किया. दूसरे मरीज़ को बारात के बैंड की आवाज तनिक भी नहीं सुनाई दी, मगर उसने इस पर कुछ भी नहीं सोचा. बस, अपनी आँखें बंद की और बारात की कल्पना में डूब गया.
यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा. दूसरा मरीज़ अब काफी बेहतर महसूस कर रहा था. नर्स ने उससे कहा कि अब शायद उसे भी कुछ देर के लिए बैठने की इजाज़त मिल जाये. यह सुन कर वह बड़ा खुश हुआ. उसने सोचा कि अब जब वह बैठ पायेगा, तब वह भी खिड़की के बाहर के सारे नजारे अपनी आँखों से देख पायेगा.
एक दिन सुबह हुई. नर्स जब मरीजों को उठाने आई तो उसने पाया कि पहलेवाला मरीज़ रात में ही सोये में ही चला बसा. दूसरेवाले मरीज़ को बहुत दुःख हुआ. नर्स और उसने मृतक की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. अस्पताल के कामगार उसके शव को लेकर चले गए. दूसरे मरीज़ ने नर्स से अनुरोध किया कि वह उसे पहलेवाले मरीज़ के बेड पर शिफ्ट कर दे. नर्स खुशी-खुशी मान गई.
दूसरा मरीज़ तसल्ली सकूं था. उसने सोचा कि अब वह अपनी आँखों से बाहर के नजारे देख सकेगा. उसने अपने को कोहनी के सहारे टिकाया और अधलेटे से हो कर उसने खिड़की के बाहर देखा. उसे यह देख कर बड़ा झटका लगा कि वहां से उसे पेड़ - पौधे, चिडिया, फूल आदि कुछ भी नहीं दिखाई दे रहे थे. उन सबके बदले वहां एक उदास, उजाड़ सी दीवाल थी. दूसरा मरीज़ कुछ समझ नहीं पाया. उसने नर्स को बुला कर पूछा कि इस बेड से वह मरीज़ उसे जो रंग-बिरंगे नजारे दिल्हाता था, वे सब अब कहा गए. नर्स को बहुत हैरानी हुई. वह मरीज़ की बात को समझ भी नहीं सकी. मरीज़ ने उसे पहलेवाले मरीज़ की बात बताई. अब तो नर्स को और भी हैरानी हुई. उसने कहा-" इतने सारे वर्णन वह आपको सुनाता था. आर्श्चय है कि वह ऐसा कैसे कर लेता था. वह तो जन्म से ही अंधा था. अब चौकने की बारी दूसरे मरीज़ और आप सबकी है.

Wednesday, May 6, 2009

कितनी मेहनत?

एक आश्रम में बच्चे विद्या अर्जन किया करते थे। विद्या अर्जन के साथ-साथ उन्हें आश्रम के भी अन्य सारे काम करने होते थे। काम करने के बाद वे सभी छात्र जंगल जाते और वहाँ से सूखे पत्ते चुन कर लाते। रात में वे सब उन सूखे पत्तों को एक-एक कर जलाते और उनके प्रकाश में अपना पाठ याद करते।
उसी आश्रम में एक ऐसा भी छात्र था जो न तो जंगल जाता और न ही सूखे पत्ते चुनता। रात में वह बाक़ी अन्य छात्रों के साथ बैठ कर सूखे पत्ते जला कर पाठ भी याद नहीं करता था। सभी छात्र उसका खूब मज़ाक उडाते और उसे बेवकूफ कहते।
परीक्षा का दिन आया। सभी ने परीक्षा दी। उस छात्र ने भी दी। सभी अन्य छात्रों ने उसकी खूब चुटकी ली। वे सभी इस बात से आश्वस्त थे की वह तो फेल होगा ही होगा।
परीक्षा का परिणाम आया और सभी यह देखकर हैरत में पड़ गए की वह छात्र अव्वल आया है। उसे सर्वोच्च अंक मिले हैं। बाक़ी सभी छात्रों के क्रोध की सीमा नहीं रही। वे सब अपने गुरु जी के पास गए और उस छात्र पर आरोप लगाया की उसने परीक्षा में अवश्य ही कदाचार का उपयोग किया है, इसीलिए उसे सबसे अधिक अंक आए हैं।
गुरु जी ने उस छात्र को बुलाया और पूछा की "तुम्हें सबसे अधिक अंक कैसे आए, जबकि तुम बाकियों के साथ न तो जंगल जाते हो, न सूखे पत्ते चुनकर लाते हो और न ही इन सबके साथ रात में बैठ कर इन सूखे पत्तों के प्रकाश में अपना पाठ ही याद करते हो। और तो और, तुम्हें पढ़ते हुए आज तक किसी ने नहीं देखा है?"
छात्र बोला-"यह सही है की मैं आज तक न तो जंगल गया और न ही जंगल से सूखे पत्ते चुन कर लाया और ना ही कभी रात में बाकियों के साथ बैठ कर सूखे पत्ते के प्रकाश में पाठ ही याद किया। मगर इसका यह मतलब नहीं की मैंने पढाई नहीं की है। भगवान भास्कर दिन भर अपना प्रकाश इस धरती और इस पर के जीव के लिए बिखेरते हैं। वे इस प्रकाश के एवज में किसी से कुछ चाहते भी नहीं। मैंने उनके इस आशीष का उपयोग जंगल में जा कर सूखे पत्ते चुनने के बदले अपने अध्ययन में किया। मैं दिन में ही अपने सारे पाठ याद कर लिया करता हूँ। लोग मुझे पढ़ता हुआ इसलिए नहींं पाते हैं की जिस समय मैं पढ़ता हूँ, ये सभी जंगल में सूखे पत्ते चुन रहे होते हैं। दिन के प्रकाश में पाठ याद भी अच्छी तरह से होता है, इसलिए मुझे सर्वोच्च अंक आए हैं।"
छात्र की बात सुन कर गुरु जी सहित सभी सोच में पड़ गए। सभी ने यह अनुभव किया की यह कह तो सही रहा है। और उस दिन से जंगल जा कर सूखे पत्ते चुन कर लाने और रात में उन सूखे पत्तों को जला कर उनकी रोशनी में पाठ याद कराने की प्रथा समाप्त हो गई।

Monday, May 4, 2009

लालसाएं- कितनी अनंत?

एक बार एक आदमी किसी गाँव से गुजर रहा था। उसने देखा की एक जगह मिट्टी के कुछ नए बर्तन रखे हुए हैं। उन बर्तनों के पास ही एक खाट बिछी हुई है और उस खाट पर एक आदमी मुंह पर गमछा रखे सो रहा है। बर्तन बेहद ख़ूबसूरत थे।
आदमी ने खाट पर सोये हुए आदमी को जगाते हुए पूछा की क्या ये बर्तन उसके बनाए हुए हैं?
सोये हुए आदमी ने जगाकर उसे ऐसे देखा जैसे वह कितना अहमक सवाल उससे कर रहा है। फ़िर उसने हामी भरते हुए कहा की ये बर्तन उसने बनाये हैं।
आदमी ने फ़िर पूछा- "क्या ये बर्तन बेचने के लिए हैं?"
बर्तानावाले ने फ़िर उसे देखा। उसके चहरे पर वही भाव थे कि कैसा बेवकूफाना सवाल है। फ़िर उसने हां में अपनी गर्दन दुलाई।
आदमी ने फ़िर पूछा, "मगर यहाँ तो तुम्हें इन बर्तनों के ज़्यादा पैसे नहीं मिलते होंगे। तुम ऐसा क्यों नहीं करते कि तुम शहर चले जाओ।"
"इससे क्या होगा?"
"तुम्हें अपने बर्तन के अच्छे दाम मिलेंगे।
:इससे क्या होगा?"
"तुम्हारे पास ज़्यादा पैसे हो जायेंगे।"
"इससे क्या होगा?"
फ़िर तुम उन पैसों से एक बड़ा सा घर खरीद सकते हो।"
"इससे क्या होगा?"
"तुम अपने घर में तरह-तरह के आराम के सरो-सामान रख सकते हो।"
"इससे क्या होगा?"
तुम्हारे पास ज़्यादा पैसे होंगे तो लोग तुम्हें इज्ज़त देंगे, तुम्हारा मान-सम्मान बढेगा।"
"इससे क्या होगा?"
"फ़िर तुम आराम से अपना जीवन सो कर गुजार सकते हो।"
"तो अभी क्या कर रहा हूँ?" आदमी ने जवाब दिया और अपनी चादर तान कर सो गया।