टहलते हुए आइए, सोचते हुए जाइए.

Saturday, May 10, 2008

कंजूस- मखीचूस

कहावतों की दूनिया बडी रोचक होती है। एक वाक्य या वाक्यांश में पूरी की पूरी बात कह देना। मगर कभी सोचा है कि इन कहावतों के पीछे और क्या और कैसी कहानियां बनी- छुपी रहती हैं। ऎसी ही एक कहानी याद आ गई इस कहावत की।
एक आदमी था, बेहद कंजूस। कभी किसी को nऐ घी कुछ खिलाता- न पिलाता। ख़ुद भी कभी उनके यहाँ नहीं जाता कि किसी के यहाँ कुछ खा पी लेने पर लोग उसे भी खिलाने-पिलाने को कहेंगे।
एक बार उसकी मा ने उसे बाज़ार से घी लाने को कहा। घी ले कर जब वह लौट रहा था, टैब अचानक एक मक्खी घी के कटोरे में गिर पडी। कंजूस को बड़ा गुस्सा आया। उसने मारे गुस्से के मक्खी को कटोरे से बाहर निकाला और झटके से उसे फेंकना चाहा कि एकदम से रुक गया। उसने मक्खी की और देखा। उसके पूरे बदन पर घी लिपटा हुआ था। इतने घी का नुकसान? उसने उस माखी को मुंह में रख लिया। सारा घी चूस लेने के बाद उसने उसे मुंह से बाहर निकाल कर फेंक दिया और घर की और चल पड़ा। वह खुश था कि उसने घी का नुकसान नही होने दिया। संयोग की बात, कि जिस समय वह यह सब कर रहा था, उसके गाँव के एक आदमी ने उसे ऐसा करते देख लिया। बस, तभी से उसका नाम न केवल कंजूस -मक्खीचूस पड़ गया, बल्कि बेहद कंजूस को इसी नाम से पुकारे जाने का रिवाज़ ही चल पडा।

3 comments:

विनायक पंडित said...

विभा रानीजी नमस्ते!
बिल्कुल सही ऒर सरल तरीकेसे आपने मख्खीचूसकी कहानी कह डाली है!सचमे कहावतों के पीछे समर्पक कहानीयां जरूर छुपी होती है!
विनायक पन्डित

हर्ष प्रसाद said...

Aainda 'Rivaaz' ki jagah 'rivaaj' ka istemaal karein jo ki durust hoga. - Harsha

Swapnil said...

ek kahani hai - shayad agyey ki hai.

manushya eeshwar se sampoorntaa ka vardaan maangne jaata hai. Eeshwar kahte hein ki abhi tum uske layak nahi ho, pehle tapasya kar ke us ke layak bano, fir vardaan denge.

Manushya ne karod karod saal tasya ki, fir gaya eeshwar ke paas. Eeshwara ne phir se lauta diya - ki thodi aur tapasya karo.

teen chaar baar aur aisa hi hua ... aur finally, jab bahut bahut bahut jyaada bheeshan tap ke baad manushya eeswara ke paas gaya, to eeshwara ne kaha - meri tapasya karte karte tumne apne sur ko mere charano mein ragda hai - itna tagadne se tumhare maathe pe daag pad gaya hai. daag wale ko sampoorna nahi mil sakti .... !