एक समय था, जब सृष्टि में केवल जल ही जल था। ईश्वर एक बार भ्रमण पर आए तो एक आदमी से मिले। उससे हांचाल पूछा। आदमी बोला, "सब कुछ तो ठीक है, मगर चारो और केवल जल ही जल है, मन घबराता है। भगवान ने पहाड़ दे दिया। फ़िर एक बार घूमने आए। आदमी से पूछा, अब तो ठीक है? आदमी बोला, "कहे को ठीक? पहाड़ पर तो केवल पत्थर ही दिखाते हैं। भगवान एन पहाड़ पर हरियाली ला दी। फ़िर पूछा, "अब तो ठीक?" आदमी बोला, "कैसा ठीक? न खाने को कुछ है, न पीने को। केवल जल पीकार्ट कैसे जीवित रहा जा सकता है?" ईश्वर ने जमीन, पेर-पौधे, फल, गाय सब कुछ दे दी। आदमी मस्ती से रहने लगा। काफी दिनों बाद भगवान वहाँ आए और पूछा, "अब तो ठीक है? " भगवान को आया देख आदमी उनकी आव-भगत में जुट गया। उन्हें अछा-अच्छा खाना -पीना दिया। गाय का शुद्ध दूध पीने को दिया। भगवान ने चलते हुए कहा, "मुझे अच्छा लगा यह देखकर कि अब तुम खुश हो। अब तो तुम्हें और कुछ नहीं चाहिए ना?"
आदमी ने कहा, "ये जो आपने अभी सब कुछ खाया है, उसके पैसे देते जाइए।"
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2 comments:
इंसान के लालच का अंत नही है।
aadmi ki fitrat ka bahut achhhaa udaaharan prastut kiya hai vibha ji. ahchhaa lagaa aapka lekh padhkar...
badhaayee...
p k kush 'tanha'
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