टहलते हुए आइए, सोचते हुए जाइए.

Monday, September 3, 2007

कौअहंक्नी

एक रजा कि सात रानियाँ थीं, मगर सन्तान एक भी नहीं.राजा अपना वारिस न मिलने से दुःखी थे.आखिर में खुशी का समय आया जब छोटी रानी गर्भवती हुई.बाकी छहों रानियों के कलेजे पर सांप लोटने लगे कि अब तो राजा छोटी रानी को ही पूछेंगे।
प्रसव का दिन नजदीक अने पर राजा एक दिन शिकार खेलने गए.छोटी रानी के महल पर एक घंटा लगवा दिया कि जब प्रसव का समय आये तो वह घंटा बजा दे.राजा आ जायेंगे।
राजा के जाएँ के बाद छहों रानियाँ छोटी रानी के पास पहुंची और बोली- बच्चा ऐसे थोड़े न जना जाता है.सर ऊखाल और धड़ चूल्हे में रखने से चांद जैसा बेटा होता है।
रानी ने दो सुन्दर बच्चों को जन्म दिया- एक बेटा और एक बेटी.सभी रानियों ने बच्चों को मरवाकर महल के पिछवाडे गार दिया और घंटी बजा दी.घंटी कि आवाज़ सुनाकर राजा खुशी में झूमता महल पहुँचा.रानियों ने ईंट पत्थर के ढ़ेर दिखाए और कह कि छोटी रानी ने यही जना है.ग़ुस्से में राजा ने छोटी रानी के नाक कान कटा कर उसे कावा उड़ने के काम पर लगा दिया। वह तबसे कौवाहंक्नी कहलाने लगी.खाने मे उसे एक कटोरी मदुआ दिया जाता।
इधर महल के पिछवाडे में दो सुन्दर पौधे निकल आए.वे बडे हुए और उनमें सुन्दर सुन्दर फूल खिले.वे इतने सुन्दर थे कि हर कोई उसे तोड़ने को मचल उठता.लेकिन जैसे ही कोई उन्हें तोड़ने जाता, वे काफी ऊंचाई पर चले जाते.सभी इसकी चर्चा कराने लगे.राजा ने भी सुना.उसने अपने द्वारपाल को भेजा.लेकिन पौधों से तो गीत बजाने लगा-
बैरिन भेल छाओ रानी, राजा भेल आन्हर हे,
हमरा मराओल, घूर फेंकाओल, माय कौअहंक्नी बनाओल हे
द्वारपाल ने सारा हाल राजा से कहा.अब राजा खुद गए.वाही बात.छहों रानी को बुलाया.वाही बात.अंत में छोटी रानी को बुलाया.जय्से ही छोटी रानी ने फूल तोड़ने कि लिए हाथ बढ़ाया, फूल उसकी गोद मे आ गिरे.पागल कि तरह छोटी रानी ज़मीन कोरने लगी। थोरी ही देर में उसमें से चांद सूरज जैसे दोनो बच्चे निकल आये.छोटी रानी ने दोनों को गले लगा लिया।
राजा साड़ी बात समझ गया.उसने छहों रानियों को करी सज़ा दी और छोटी रानी से अपने किये की माफी मांगी.बच्चों को गले लगायौर सबको लेकर महल आ गए.कहते हैं, जैसे रानी औए बच्चो के भाग फायर, वैसे ही सबके फिरें.मगर जैसी रानी की दुर्गति हुई, वैसी किसी की ना हो और राजा जैसा इन्सान भी क्रोध में अपना विवेक ना खोये.

1 comment:

रेखा श्रीवास्तव said...

yah eka lok katha hai na bachpan men apane nana se suni thi. khubasurati to isa baat ki hai ki usake lipibaddha karake saamane laane vala kitana chatur hai.