टहलते हुए आइए, सोचते हुए जाइए.

Friday, November 12, 2010

आइये, छठ के गीत गाएं

आज छठ है. मन में कुछेक गीत घुमड रहे हैं. सुनिए-


ऊजे केरवा जे फरे ले घउद से

ओ पर सुगा मंडराए

मारबऊ से सुगवा धनुष से

सुगा गिरे मुरुछाए

सुगनी जे रोए ले बियोग से

आजु केहू ना सहाय

अइहें गे सुगनी छठी माई

होइहें उनहीं सहाय
(केले अपने घौद में फले हुए हैं. तोता उस पर मंडरा रहा है. तोते को तीर से मारा गया है. वह मूर्छित हो कर गिर पडा है. असहाय मादा तोता वियोग में भरकर रो रही है. उसे कहा जाता है कि छठ माता उसका सहारा बनेंगी और उसकी सहायता करेंगी. केले के अतिरिक्त चढाए जानेवाले अन्य फल, जैसे, नारियल, नीम्बू आदि के साथ इस गीत को दुहराया तिहराया जाता है.)

ऊजे कांच ही बांस के बंहगिया

बंहगी लचकत जाए

बाटा ही पूछले बटोहिया

बंहगी किनका के जाए

तू तो आन्हर होइबे रे बटोहिया

बंहगी छठी माई के जाए
(कच्चे बांस की बंहगी बनी हुई है. बांस के कच्चेपन के कारण बंहगी लचक लचक जा रही है. राह चलते राही बटोही पूछ रहे हैं कि यह बंहगी और इसमे रखे सामान किनके घर के लिए है? भक्त राही को धिक्कारते हुए कहता है कि तू अंधा हो गया है क्या? यह बंहगी छठ माता के लिए जा रही है. इसी तरह बंहगी के स्थान पर “कांचही बांस के दउरिया” गाया जाता है. )

मोरो भैया बसे रामा, अवध नगरिया

ऊहवां से लैह’ हो भैया गेहुंआसनेसवा

उए गेहुंए करबो हो भैया छठी के बरतिया

एही बेर गेहुंआ गे बहिनी बडी रे मंहगिया

छोडी देहू आहे बहिनी, छठी के बरतिया

कैसे हम छोडबो हो भैया, छठी सन बरतिया

ऊहे छठी मैया देलखिन अन धन सोनवां

ऊहे छठी मैया देलखिन मांग के सेनुरवा

ऊहे छठी मैया देलखिन गोद के बलकवा

मांगिए-चूगिए हो भैया करबई बरतिया.
(व्रत करनेवाली को अपने भाई पर बडा भरोसा है. वह कहती है कि उसके भैया अवध में रहते हैं. वह भाई से गेहूं संदेसे में लाने को कहती है. वह यह भी कहती है कि इस गेहूं से वह छठ का व्रत करेगी. भाई कहता है कि इस बार गेहूं के दाम आसमान को छू रहे हैं. इसलिए वह इस बार छठ का व्रत छोड दे. बहन कहती है कि वह कैसे इस व्रत को छोड देगी? इसी व्रत के पुण्य प्रताप से उसे धन धान्य, सुहाग और संतान मिले हैं. इसलिए वह मांग मूंग कर भी छठ का व्रत अवश्य करेगी.)

2 comments:

Arpita said...

आप ने अनुवाद कर इसे डाला इस लिये ये गीत मैं पढ़ पायी...अच्छा लगा..

आनंद said...

आज सबेरे से यह गीत कानों में बज रहा है। हुकार.कॉम में भी इसके बारे में पढ़ा और गीत भी सुना। सुनने में बहुत अच्‍छा लगा पर अर्थ समझ नहीं पा रहा था। आपने तो समझो लाटरी निकाल दी। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

- आनंद