टहलते हुए आइए, सोचते हुए जाइए.

Tuesday, March 11, 2008

सेर का सवा सेर

एक गप्पी था। बड़ी बड़ी गप्पें हांकता। एक दिन उससे किसी ने कहा कि पास के गाँव में उससे भी बड़ा गप्पी रहता है। तुम उससे ज़रूर मिलो। गप्पी को अपनी गप्पबाजी की कला पर अभिमान था। उससे भी बड़ा गप्पी कोई हो सकता है, यह बात उसे पची नहीं। लेकिन उसने यह तय किया कि वह उस गप्पी से मिलेगा ज़रूर। हो सका तो उसका भ्रम भी तोडेगा।
गप्पी दूसरे गप्पी के गाँव में जा पहुंचा। गाँव के बच्चों से उसने उसके घर का पता पूछा। बच्चों में से एक ने कहा की मैं उनका बेटा हूँ। आप बताएं कि क्या काम है?
गप्पी ने कहा कि वह उनसे मिलने आया है। बेटे ने कहा कि "अभी तो वे मच्छर -गाडी पर दस टिन घी लाद कर हाट गए हैं बेचने के लिए।"
"लौटेंगे कब?" बेटे की बात से झटका खाए हुए गप्पी ने पूछा।
"पता नहीं । कह गए थे, लौटते में वे खटमल की पीठ पर दो बोरा नमक लाद कर लायेंगे, गाँव के लोगों के लिए।"
गप्पी को फ़िर से एक और झटका लगा। वह कुछ नहीं बोला। थोडी देर तक वह इधर-उधर टहलता रहा। लडके के घर से एक औरत निकली। उसने लडके को बुलाया और कहा कि तुमने माकडे की जो जाली दी थी अपनी बहन के पोशाक के लिए, उसपर गाय ने गोबर कर दिया है और वह गोबर सोने मेंबदल गया है। तुम्हारी बहन जिद पर है कि भाई उस सोने के गोबर को धागे में बदल कर दे। वह उससे अपनी पोशाक पर कढाई करेगी और अपनी सहेली की शादी में पहन कर जायेगी।"
आदमी और भी चौंका। फ़िर भी वह कुछ नहीं बोला। बालक के घर के सामने एक बहुत बड़ा ताड़ का पेड़ था। गप्पी ने लडके से पूछा - "यह पेड़ किसका है?"
"हमारा। क्यों?"
"नहीं, कोई ख़ास नहीं। मैं यह सोच रहा था कि जब तुम्हारे बाउजी आयेंगे, मैं यह पेड़ उनसे मांग लूंगा।"
"आप क्या करेंगे इसका?" लडके ने पूछा।
"सोच रहा हूँ कि मैं इस पेड़ को काटकर इससे अपने लिए एक छडी बनाऊँगा।"
"ओह! इसी पेड़ के लिए तो रोज मेरे बाउजी और माँ में लड़ाई होती रहती है।"
"क्यों?"
"क्योंकि बाउजी कहते हैं कि मैं इस पेड़ का दतुना बनाऊंगा और माँ कहती है की वह इससे खदिका (दांत खोदने की सींक) बनाएगी।
लडके की बात सुनकर गप्पी वहाँ से चल पडा। रास्ते भर वह यही सोचता रहा कि जिसका बेटा इतना बड़ा गप्पी है, वह ख़ुद कितना बड़ा गप्पी हो सकता है! बिना उससे मिले ही उसने उसे अपने से बड़ा गप्पी maan liyaa.
aapake paas bhii yadi isase bhii badii badIi gapp ho to hamein zaroor bataaen.

4 comments:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

मैंने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान सभी पार्टियों के घोषणापत्र पढे थे. उनमें सभी में बिल्कुल सच्ची-सच्ची बातें लिखीं थीं. उनमें जो सबसे सच्ची पार्टी थी उसने सरकार बनाई और अपने सबसे लोकप्रिय नेता को प्रधानमंत्री बनाया. हमने तभी से सत्य और अहिंसा का संकल्प लिया है और तय किया है किसी भी स्थिति में गप्प नहीं मारेंगे.

mehek said...

bahut achhi mazedar kahani thi,hum gappi nahi hai:);)nahut sundar,es muskan ke liye shukriya.aaj kuch udas din lag raha tha,par ab nahi.

VIMAL VERMA said...

विभा जी,क्या बात है, भाई गप्प पर अब तक की सबसे अच्छी कहानी आज मैने पढ़ी है,बहुत बहुत शुक्रिया

NIRANJAN JAIN said...

MAJA AGAYA