टहलते हुए आइए, सोचते हुए जाइए.

Wednesday, February 17, 2010

सबसे आसान रास्ता-नशा!

एक बार शैतान एक आदमी के पास पहुंचा और उससे बोला- "तुम नशा कर लो." आदमी ने मना कर दिया कि वह नशा नहीं करता. शैतान ने कहा कि "अगर तुम यह नहीं कर सकते तो अपनी बीबी की पिटाई कर डालो." आदमी ने गुस्से से कहा कि "वह यह कैसे कर सकता है? वह क्यों बिना वज़ह अपनी बीबी को मारे?" शैतान ने कहा कि "अगर तुम यह भी नहीं कर सकते तो अपने मां-बाप को गालियां दे दो." आदमी और भी गुस्सा हो गया और  उसने कहा कि "अपने आदरणीय माता-पिता को वह गाली कैसे दे सकता है?"  शैतान ने कहा कि "अगर तुम यह भी नहीं कर सकते तो अपने दोस्त की हत्या  ही कर आओ." आदमी के गुस्से का पारावार न  रहा. उसने कहा कि तुम मुझे कोई राह बताने आए हो या मेरी जान लेने? दोस्त की हत्या करने पर क्या मेरी जान बची रहेगी?"
शैतान ने कहा कि "जान तो तुम्हारी अब वैसे भी नहीं बचेगी. या तो तुम ये सभी काम करो या इसमें से कोई एक काम करो. वरना तुम मेरे हाथों मारे जाओगे."
आदमी ने सोचा कि इन चारों में से सबसे आसान और कम हानिकारक है- नशा करना. इससे किसी का कुछ नुकसान भी नहीं होगा और उसकी भी जान बच जायेगी.
और उसने नशा किया. नशा करने के बाद उसने अपनी बीबी को पीटा. उसे बचाने जब उसके मां-बाप आये तो उसने उन दोनों को खूब गालियां दीं. अपने मां-बाप को गालियां देते देख उसका दोस्त उसे समझाने बुझाने आया तो उसने आव देखा न ताव, गुस्से में आकर दोस्त को जान से मार डाला. खून के अपराध में बाद में उसे भी नौत की सज़ा मिल गई और वह भी मर गया.
तो इसका मतलब? .... आप बतायें.
(वरिष्ठ जेल अधीक्षक योगेश देसाई से सुनी  कहानी पर आधारित.)

3 comments:

शरद कोकास said...

सबसे पहले मन के भीतर छुपे शैतान को ही मारें ..झंझत खतम ।

Vibha Rani said...

यही तो हम नहीं कर पाते हैं शरद जी!

36solutions said...

बहुत अच्छे ढंग से नशा की बुराइयो को सामने लाया है आपने, धन्यवाद.