टहलते हुए आइए, सोचते हुए जाइए.

Tuesday, August 5, 2008

होइहें वही जो राम रची राखा

संयोग पर विश्वास न करनेवालों के लिए तुलसी दास भी यह कह गए हैं। इसी संयोग से सम्बंधित एक कथा-

एक व्यक्ति को प्रकृति, संयोग, भाग्य आदि पर ज़रा भी भरोसा नहीं था। वह इन सबको महज़ कोरी गप्प मानता। एक दिन उसने किसी से कहा, "यदि तुम भविष्य जानते हो और बता सकते हो तो बोलो कि आज मेरे भाग्य में क्या लिखा है। " वह व्यक्ति अच्छा ज्योतिष था। उसने कहा, "आज तुम्हारे भाग्य में खीर खाना लिखा है।" आदमी खूब हंसा और बोला कि वह उसकी बात को झूठ सिद्ध कर देगा।
आदमी सोचने लगा कि अब क्या किया जाए? अगर वह घर पर रहता है और कहीं पत्नी ने खीर बनाई तो उसे खीर कहानी पड़ेगी। यदि पड़ोस से ही आ गई और पत्नी ने परोस दोया, तब भी छुटकारा नहीं। अगर दोस्तों के यहाँ गया और वहाँ खीर मिल गई, तो उसे खाना ही पडेगा। यह सब सोचकर वह सीधा जंगल में चला गया और एक पेड़ के ऊपर चढ़ कर बैठ गया- खूब झुरमुट में, ताकि लोग उसे देख ना सकें । अपनी इस तरकीब पर वह मन ही मन बहुत खुश हुआ कि अब आयें ज्योतिष महाराज और खिला कर दिखाएँ खीर।
शाम ढलने तक वहाँ कुछ तीर्थ यात्री आए। उनके पास अन्य सामान के साथ-साथ गायें भी थीं। दूध दुहा गया। तय हुआ कि इस दूध से खीर ही बना ली जाए। खीर बनने लगी। खीर तैयार हुई ही थी कि पीछे से घोडे की ताप यात्रियों को सुनाई दी। "डाकू, भागो।" बोलते हुए सभी यात्री अपना-अपना सामान लेकर जान बचा कर वहाँ से भागे।
सचमुच में वह डाकुओं का दल था। वे सब वहाँ रुके। आस-पास का मुआयना किया। खीर देख वे सभी खुश हो गए। भूख तो लग ही आई थी। वे सभी खीर देखा के उतावले हो गए कि उनका सरदार बोला, "यह मुझे किसी की साजिश लगती है, हम सबको मारने की। इतनी मात्रा में खीर कोई क्यों बनाएगा? और जिसने हमें मारने को सोचा है, उसने किसी को आस-पास बिठा भी रखा होगा। खोजो उसे।" सभी के खोजने पर आख़िर में वह आदमी पेड़ पर चढ़ा हुआ मिला। उसे नीचे उतारा गया। सरदार ने कहा," पहले इस खीर को यह आदमीखायेगा, ताकि पता चल सके कि इसमें ज़हर तो नहीं मिला हुआ है।" आदमी ने लाख कहा कि वह किस कारण यहाँ आया है, मगर उसकी बात किसी ने नहीं सुबनी। वह जैसे-जैसे खीर खाने की मनाही करता, सरदार सहित सभी का शक यकीन में बदलता जाता कि सच्चमुच इस खीर में ज़हर मिला हुआ है। अंत में, कुछ डाकुओं ने उसे पटक कर उसके मुंह में खीर डालनी शुरू कर दी। जब खीर मुंह में चली ही गई तो आदमी उठ बैठा और बोला, "अब तो आज का संयोग घटित हो ही गया। अब मुझे भर पेट खीर खाने दो।"

5 comments:

Nitish Raj said...

जो होना है वो होता है... लाख कोशिश कर लो बदल नहीं सकते। संयोग ठीक है लेकिन हर समय और हर वक्त संयोग नहीं हुआ करते। मैं ये मानता हूं कि हां हमारे ऊपर भी एक ऐसी पावर है जो पूरी धरती को चल रही है.... वो ऊपर वाल। भगवान।

रंजू भाटिया said...

सही कहा आपने ..जो प्रभु की इच्छा हो वही होता है

राज भाटिय़ा said...

अजी हम केसे मना कर सकते हे, हम सब आप के साथ सहमत हे, धन्यवाद

Udan Tashtari said...

आज हमारे भाग्य में भी टिपियाना बदा था..चलो टिपिया देते हैं.

हर्ष प्रसाद said...

who is ram?